स्वतंत्रता दिवस 2023: आजादी एक ऐसा शब्द हैं इसके लिए न जाने कितने माताओं ने अपने जवान बच्चों को खोया होगा। न जाने कितने स्त्रियों ने अपने सुहाग को खोया होगा। और न जाने कितने लोगो ने अपने जिगर के टुकड़े को कुर्बान किया होगा। आजादी सिर्फ एक शब्द नहीं है। यह एक एसी गथा है ऐसा परिणाम है इसके पीछे न जाने लाखों करोड़ों लोगों ने अपनी जिंदगी खोयी होगी अपने अपनों को कुर्बान किया होगा।
कोई देश जब किसी का गुलाम होता है तो वह देश बहुत ही बुरी दशा में चला जाता है। जिलानी कहते किसे है आइए एक उदाहरण के द्वारा हम समझते हैं। जब कोई व्यक्ति अथवा देश किसी भी राजतंत्र के अधीन हो जाता है। और उसकी हर एक क्रिया, प्रतिक्रिया, उसका राजतंत्र एक व्यक्ति के अधीन हो जाता है। जहां उसका अपना कोई महत्व और व्यक्ति नहीं रह जाता है इसे गुलामी कहते हैं।
हमारा देश भारत बहुत समय से अंग्रेजो का गुलाम था। इसका सबसे बड़ा कारण आपसी मतभेद था। भारत में नजाने कितने अनेक राजा विभिन्न क्षेत्रों में अपना शासन चलाते थे। अंग्रेजो ने विभिन्न राजाओं के बीच फूट डालकर एवं लड़ाई लगवा कर भारत के एकता एवं अखंडता को चूर-चूर किया था। एकता और अखंडता के चूर-चूर होने से अंग्रेजों को और आत्म बल मिला। और उन्होंने भारत की भीतरी पक्षी को कमजोर करके भारत की सत्ता पर बैठने का साहस किया और अंग्रेजों ने भारत पर बहुत सालों तक शासन किया।
भारत जो कभी एक सोने की चिड़िया माना जाता था। आज वह देश लगातार प्रयासरत है। अपने आप को विश्व गुरु बनाने के लिए भारत में अंग्रेजी शासन के बाद आज एक ऐसा समय है। जब दुनिया भारत की ओर देख रही है। एक समय ऐसा भी था जब अंग्रेज भारत के तरफ आंख उठाकर देखते थे। आज वही अंग्रेज भारत की ओर बड़े उम्मीद के नजरों से देखते हैं। यह परिवर्तन सिर्फ और सिर्फ आजादी के कारण संभव हो पाया है। हमारा देश बदल रहा है। हमारा देश लगातार आगे बढ़ रहा है।
हमारे देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी। इस आजादी की लड़ाई में न जाने कितने भारत के शूरवीरों ने अपनी जिंदगी दे दी। अपने सपनों का गला घोट दिया। आजादी की लड़ाई में कुछ ऐसे भी शूरवीर थे जिन्होंने अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया।
आजादी की लड़ाई में कुछ महापुरुषों के नाम आप सभी को पता होंगे जैसे भगत सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी। यह सभी आज़ादी के योद्धा थे। भगत सिंह को कौन नहीं जानता है। भगत सिंह भारत के इकलौते ऐसे सिपाही थे। जिन्होंने आजादी की लड़ाई का डंका स्वयं बजाया था। भगत सिंह ने आजीवन ब्रह्मचारी होने का संकल्प सिर्फ इसलिए लिया था क्योंकि देश को आजाद करा सके। इसके खिलाफ उनके माता-पिता ने भी उनको बहुत समझाया लेकिन जो देश के लिए उनके लहू में पागलपन था, जो जुनून था। वह देखने बनता था। इसीलिए आज वह भारत देश में एक अलग स्थान रखते हैं।
शुभाष चंद्र बोस भी एक बहुत बड़े आजादी के योद्धा थे। जिन्होंने भारत के आजादी में दिलो जान से मेहनत की और भारत को आजादी दिलाने में अपना सर्वस्व निछावर कर दिया।
राजेंद्र प्रसाद भी भारत की आजादी में एक अहम भूमिका निभा रहे थे। आगे चलकर देश की आजादी के बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद को ही भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।
बाल गंगाधर तिलक यह सिर्फ एक नाम नहीं यह एक बहुत बड़ा आंदोलन था। जिसमें अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे।
लाला लाजपत राय जिन्होंने आजादी की लड़ाई में लाठी चार्ज में घायल होते हुए शहीद हो गए। यह भी एक अद्भुत फ्रीडम फाइटर रहे हैं। जिन्हें देश याद करता है।
न जाने कितने शूरवीरों को जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी उनको फांसी की सजा अंग्रेजी सरकार ने सुनाई और उन्होंने हंसते-हंसते फांसी को चुन लिया। और वह देश के नाम पर शहीद हो गए। इसीलिए हमने पहले ही आप सभी को बताया आजादी सिर्फ एक शब्द नहीं एक भावना है, एक बलिदान है एक परिणाम है।
आजादी के बाद भारत आज एक ऐसे मुकाम पर आकर खड़ा हो गया है। जहां पर दुनिया उसे एक उम्मीद की नजर से देखती है। भारत ने ही दुनिया को शांति का संदेश दिया, नैतिकता का संदेश दिया। और आज भारत पूरी दुनिया में एक उभरता हुआ राष्ट्र बन के सामने आया है।
हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जब से सत्ता की बाग डोर संभाली है। भारत धीरे-धीरे नई ऊंचाइयों को छूता जा रहा है। भारत एक विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ता चला जा रहा है। भारत ने अपने आजादी की लड़ाई में जिन धरोहरों को खो दिया था, जिन धरोहरों को देश भूल गया था। देश की सरकार ने उनको भी फिर से उठाकर खड़ा कर दिया। और आज पूरी दुनिया इसका लोहा मानती है।
मोदी है तो मुमकिन है। यह नारे आज सिर्फ हमारे देश में ही नहीं यह नारा अमेरिका के संसद में भी गूंज रहा है।
9 अगस्त 1942 को भारत में अंग्रेजों ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था। माउंटबेटन प्लान के द्वारा भारत का विभाजन हुआ था।
भारत में महात्मा गांधी जी बापू के नाम से भी जाने जाते हैं। उन्होंने न जाने कितने आंदोलन देश के हित के लिए किया। और न जाने कितने दंगों को उन्होंने शांत कराया। अपनी बुद्धिमत्ता और अपने शांति दूत होने का देश को बहुत फायदा पहुंचाया। महात्मा गांधी भी भारत के एक बहुत बड़े फ्रीडम फाइटर में से एक थे। आज आप सभी भारत के मुद्रा पर महात्मा गांधी की तस्वीर देख सकते हैं। जो इस बात का प्रतीक है कि उनका योगदान देश की आजादी में क्या था। आज हम सभी महात्मा गांधी को बापू के नाम से जानते हैं। और पूरा देश उन्हें आज भी आदर सम्मान देता है।
वैसे तो 1857 की क्रांति को प्रथम स्वाधीनता संग्राम कहते हैं। पर उसमें लोगों की एकता का बड़ा अभाव था। जिसके कारण हम लोग उस समय अंग्रेजों से लड़ने में असफल रहे। पर उसके बाद जब गांधी जी ने भारत आकर सारे लोगों को एक साथ जोड़ा और फिर आजादी की लड़ाई लड़ी तो फिर जाकर हम लोगों को 1947 मैं आजादी मिली।
आजादी का महत्व क्या है? और भारत को कैसे आजादी मिली? यह उसका एक बहुत ही छोटा सा उदाहरण आपके सामने पेश किया गया। उम्मीद करते हैं कि आपको इस लेख से कुछ सीखने को मिला होगा। इसी तरह की जानकारी के लिए हमारे पेज को सब्सक्राइब करें और अपना सहयोग प्रदान करते रहें। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद।